क्राइम

डॉक्टर अंकल मैं बच जाऊंगी न! अंतिम क्षण तक बार-बार पूछती रही अंकिता

दुमका। मौत से पहले पांच दिन तक अंकिता रिम्स में जिंदगी के लिए जूझती रही। इस दौरान वहग बार-बार चिकित्सकों पूछती रही, डॉक्टर अंकल मैं बच तो जाऊंगी न। रिम्स के बर्न वार्ड में अंकिता का इलाज करने वाले डॉक्टरों और नर्सों ने बताया कि वे जब भी अंकिता को देखने जाते थे, बार बार वो उनसे पूछती थी कि डॉक्टर अंकल, मैं बच तो जाऊंगी न। यह बात वह बार-बार दोहराती रही। इसके अलावा जब नर्सें अंकिता को दवा और सुई देने के लिए जाती थीं तब पूछती थी कि कितने दिनों में ठीक हो जाऊंगी।

विशेषज्ञों के अनुसार बर्न मामला में तीन स्टेज होता है, हर स्टेज सात दिनों का होता है। किसी भी स्टेज में कभी भी मौत हो जाती है। कई बार तीसरे स्टेज में ठीक होकर घर जाते वक्त भी मौत हो जाती है। जले हुए मामलों में कभी भी टिशू और पेयर का ब्रेकडाउन होता है। इसलिए अधिकतर मामलों में डॉक्टर मरीजों को तीन सप्ताह तक ऑर्ब्जवेशन में रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 50 फीसदी से ऊपर बर्न के मामले में शायद ही मरीज बच पाते हैं।

बेदिया नदी घाट पर हुई अंकिता की अंत्येष्टि,दादा ने दी मुखाग्नि
कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच सोमवार को बेदिया श्मशान घाट पर अंकिता का अंतिम संस्कार किया गया। काफी भारी मन से अंकिता के दादा अनिल सिंह ने अपनी पोती को मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि के समय बेदिया श्मशान घाट पर अंकिता के परिवार के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में जरुवाडीह,पुराना दुमका सहित दुमका शहर के आमलोगों के साथ ही विभिन्न संघ-संगठनों के लोग मौजूद थे। अंतिम विदाई के समय जहां अंकिता के परिवार के लोग फूट-फूट कर रो रहे थे वहीं मौके पर मौजूद सभी लोग भावुक हो गए थे। अंकिता के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि गत् वर्ष अप्रैल माह में अंकिता की मां का निधन होने पर बेदिया श्मशान घाट पर पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इसी कारण परिवार ने अंकिता का भी अंतिम संस्कार बेदिया श्मशान घाट में कराने का निर्णय लिया। काफी संख्या में लोगो पहुंचे हुए थे।

गम और गुस्से में महिलाएं
अंकिता की मौत से उसके मुहल्ले जरुवाडीह के लोगों में गम और गुस्सा का माहौल दिखा। रविवार की रात में अंकिता का शव पहुंचने से के समय से ही जरुवाडीह की महिलाएं उसके घर पर जमा थी। सुबह जब अंतिम संस्कार के लिए शव उठाया गया तो महिलाओं ने यह कह कर विरोध किया कि पहले शाहरुख को हमलोगों के हवाले किया जाए तब ही शव को जाने देंगे। महिलाओं का कहना था कि जिस तरह से उसने हमारी बेटी को जलाया है,उसी तरह की सजा शाहरुख को मिलना चाहिए। महिलाओं को काफी समझा-बुझा कर शांत कराया गया। महिलाओं का कहना था कि पहले अंकिता के परिवार वालों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। समाजसेवियों एवं डीएसपी विजय कुमार ने महिलाओं को किसी तरह से समझाया-बुझाया और कहा कि युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। न्यायालय से उसे सजा दी जाएगी। इसलिए आप लोग आश्वस्त रहे। दोषी को सजा मिलेगी। आश्वासन के बाद महिलाएं हटीं।

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