बिहार

धर्म और अधर्म का निर्णय वेदों से होता है : स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती

खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) :ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज ने भक्तों से कहा कि धर्म और अधर्म का निर्णय वेदों से होता है। धर्म के मार्ग का उल्लंघन करने से संसार अव्यवस्थित हो जाता है। जो विधि / कानून है उसका उल्लंघन करने से अव्यवस्थित हो जाता है। आगे पूज्य महाराजश्री ने कहा संसार मे जो कानून मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं वह परलोक में नहीं चलता है। वहां झुठी गवाही नहीं चलती है। जैसा कर्म आप किये होंगे उसका निश्चय शास्त्र के अनुसार होगा।

इस अवसर पर दंडी स्वामी द्वय स्वामी सदानन्द सरस्वती एवं स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती, दंडी स्वामी अमृतानन्द जी सरस्वती, ब्रह्चारी ब्रह्मविद्यानन्द, ब्रह्मचारी कैवल्यानंन्द, ब्रह्मचारी रामेश्वरानन्द, ब्रह्मचारी धरानन्द , ब्रह्मचारी सुप्रियानन्द, कथा वाचक साध्वी लक्ष्मी व नील मणी शास्त्री, किशोर दवे महाराज, व्यास जी व अन्य सन्त, महात्मा एवं भक्तगण उपस्थित होकर पूज्य महाराजश्री के मुख से प्रवचन का रस पान किये।

महाराजश्री ने आगे कहा आज कल लोग मनमाना धर्म बना लेते हैं। धर्म के साथ साथ मंत्र और भगवान भी बना लेते है। कुछ ऐसे हैं जो राम नाम के पहले विशेषण लगा दिए हैं जैसे साईं राम । राम नाम ही सब कुछ है, इसके पहले किसलिए और क्यों विशेषण लगाना। हम हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं परंतु कुछ लोगों ने साईं चालीसा प्रकाशित कर उसका पाठ कर रहे हैं। क्या यही धर्म है ? ऐसा कृत्य लोगों को ठगने, छलने के लिए करते हैं साथ ही इसी का प्रचार भी कर रहे हैं जो सनातन धर्म के विपरीत हैं और वे सब धर्म का गलत वर्णन कर रहे हैं , मनमाना आचरण भी कर रहे हैं। हमारे वेद सही सही ज्ञान देते हैं तभी संसार बचा हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button