कैंट कर्मियों ने दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर जताया विरोध
निकाय में शामिल करने के निर्णय से कर्मचारी भविष्य को लेकर आशंकित
देहरादून: छावनी परिषदों के सिविल क्षेत्र को नजदीकी नगर निकायों में शामिल करने के रक्षा मंत्रालय के निर्णय से कैंट बोर्डों में कार्यरत कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैैं। आल इंडिया कैंट बोर्ड इम्पलाइज फेडरेशन के आह्वान पर छावनी परिषद देहरादून में कार्यरत कर्मचारियों ने गुरुवार को दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर विरोध जताया। इससे पहले बीती एक जुलाई को भी कैंट कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया था।
कर्मचारियों का कहना है कि इस संबंध में न उन्हें विश्वास में लिया गया और न किसी प्रकार की चर्चा की गई। उन्होंने सेवा शर्तों, पदोन्नति, विभिन्न देयकों, मृतक आश्रितों की नियुक्ति समेत विभिन्न मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
बता दें, रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्डों को खत्म कर उन्हें नजदीकी नगर निकायों में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय से कैंट बोर्डों में कार्यरत हजारों कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यदि कैंट बोर्डों विलय स्थानीय निकायों में होता है तो कैंट बोर्डों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा शर्तों में बदलाव हो जाएगा। कर्मचारियों की वरिष्ठता, वेतन, पदोन्नति, अवकाश व पेंशन भी इससे प्रभावित होंगे। यदि उनकी शंकाओं का जल्द निराकरण नहीं किया गया थो 15 जुलाई से देशभर के कैंट बोर्डों में कार्यरत कर्मचारी उग्र आंदोलन शुरू कर देंगे।
इस दौरान कैंट श्रमिक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार, कैंट बोर्ड कर्मचारी फेडरेशन सदस्य बसंत उपाध्याय, पर्यावरण मित्र संगठन के अध्यक्ष आशीष देसाई महासचिव कैलाश वाल्मीकि ,जेई बालेश्वर भटनागर, नवीन औलख, वंदना शर्मा,स्वीटी, कविता, सोनम ,विनोद, यशपाल सिंह, राजपाल सिंह, विजय कुमार राकेश कुमार,अमित चौहान पिंकी,सपना आदि उपस्थित रहे।