कैंट बोर्ड: तो अब मुकेश कुमार के कंधों से चलेगी गोली
देहरादून। छावनी परिषद गढ़ी देहरादून में पिछले कुछ दिनों से गजब का खेल चल रहा है। इस खेल को जो समझ लिया समझो वही सिकंदर है। कैंट बोर्ड में नियमों को ताकपर रखकर उल्टे सीधे काम किए जा रहे हैं। स्थिति ये है कि अब टैक्स विभाग में तैनात मुकेश कुमार को जेई सिविल के जो काम होते हैं उसकी जिम्मेदारी दे दी गई है। मतलब नक्शे पास से संबंधित काम अब मुकेश कुमार देखेंगे। इससे पहले ये काम मैकेनिकल के जेई बालेश भटनागर को दी गई थी। हालंकि उन्होंने स्थिति को भांपते हुए सीईओ को लिखकर दे दिया कि वह इस काम को करने के समक्ष नहीं है।
कैंट बोर्ड देहरादून में एक ही जेई सिविल नवनीत क्षेत्री हैं। नियमानुसार इनकी अनुपस्थिति में या अन्य किन्हीं वजहों ये अगर इनसे ये काम वापस लिया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसी भी जेई सिविल को सौंपनी चाहिए। पहले भी जेई सिविल की अनुपस्थिति में ये काम कैंट बोर्ड क्लेमेनटाउन, चकराता व लंढौर के जेई सिविल को दी गई। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। साबह ने नियमों को ताक पर रखकर ये जिम्मेदारी जेई मैकेनिकल को दे दी। जेई मैकेनिकल बालेश भटनागर चालाक् निकले। उन्होंने बिना किसी देरी किए ये लिखकर दे दिया कि वह इस काम को करने में सक्षम नहीं है। अब इस जिम्मेदारी को किसको दी जाए ये गले का फांस बना हुआ था। इस बीच एफ-9 से टैक्स विभाग तक पहुंचे मुकेश कुमार के इसकी जिम्मेदारी दे दी गई। जिसके बाद से कैंट के कर्मचारी कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि ये जिम्मेदारी योग्यता के अनुसार संबंधित अधिकारी को देनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। क्योंकि अब मुकेश कुमार के कंधे से गोली चलाई जाएगी। बाद में इसका परिणाम जो भी हो।
इन कर्मचारियों के पास नहीं है सीलिंग का अधिकार
साहब के निर्देश पर एक टीम का गठन किया गया है। जो क्षेत्रों में आजकल अधिकारियों के निर्देश पर सीलिंग समेत अन्य कार्रवाई कर रही है। यहां तक कि साइट विजिट भी इन कर्मचारियों से कराया जा रहा है। ये सारे कर्मचारी इसकी योग्यता नहीं रखते हैं। अगर कोई पीड़ित इस संबंध में कोर्ट चला गया तो साहब से लेकर कर्मचारी तक पर कार्रवाई होनी तय है।
सीबीआई के रडार पर हैं चार लोग
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई के रडार पर कैंट बोर्ड देहरादून के चार लोग हैं। इनमें से एक कर्मचारी को ट्रैश भी किया गया था लेकिन एन वक्त पर शिकायतकर्ता बैकफुट पर आ गया। वरना भ्रष्टाचार की सच्चाई सबके सामने होती। इन चार में से एक साहब के कार्यकाल में तीन बार सीबीआई ने दस्तक तक दे चुकी है। इसके अलावा स्टोर, टैक्स तथा एक अन्य विभाग का कर्मचारी इसमें शामिल है।