उत्तराखण्डदेहरादून

कैंट बोर्ड: साहब ने एक अच्छा काम कराया था वह भी गुड गोबर हो गया, यकीन नहीं तो पढ़ लें इस खबर को

देहरादून। सब गुड गोबर हो गया मुहावरे तो सुना ही होगा। इस मुहावरे का मतलब होता है बने बनाए काम को बिगड़ना या किए कराए पर पानी फेरना। ये मुहावरा कैंट बोर्ड देहरादून के साहब पर बिल्कुल फिट बैठती है। साहब ने पहली बार कोई अच्छा काम किया था वह भी गुड गोबर हो गया। हालांकि ये काम साहब के नजर में ही अच्छा था। पब्लिक ने शुरू में ही इसका विरोध किया था। लेकिन साहब के ऊपर पैसों का भूत और अहंकार सवार था। जिसका नतीजा अब सभी के सामने है।

महिंद्रा ग्राउंड के फुटपाथ पर लगाई गई नई टाइल्स कुछ इस तरह से उखड़ रही है। (जन केसरी)
महिंद्रा ग्राउंड के फुटपाथ पर लगाई गई नई टाइल्स कुछ इस तरह से उखड़ रही है। (जन केसरी)

महिंद्रा ग्राउंड के चारों तरफ बढ़िया फुटपाथ बना हुआ था। कुछ माह पहले कैंट बोर्ड ने सेना के साथ मिलकर इस फुटपाथ पर लगाये गए टाइल्स को उजाड़ दिया। इसके बाद प्लास्टिक वेस्ट से तैयार टाइल्स को इस फुटपाथ पर लगाई गई। ये टाइल काफी महंगी है। इसका क्षेत्रवासियों ने विरोध किया था। सभी ने कहा था कि अगर कैंट बोर्ड को इस टाइल्स का प्रयोग ही करना है तो जहां फुटपाथ की टाइलें टूटी हुई हैं वहां पर लगाया जाए। लेकिन अधिकारियों ने इस बात को अनसूना कर दिया। अच्छे खासे फुटपाथ के टाइल्स को उजाड़कर नई टाइल्स लगाई गई। जो अब कुछ माह के भीतर ही उखड़ने लगी है। कई जगह फुटपाथ भी किनारे किनारे से टूट गए हैं। ऐसे में सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोग इसे भ्रष्टाचार की भेंट बता रहे हैं। ठेकेदार की सीधे सीधे इसमें लापरवाही दिख रही है। लेकिन सच्चाई ये है कि अंधेरी नगरी चौपट राजा
रनिंग ट्रैक तो पहले ही चढ़ चुका था भ्रष्टाचार की भेंट
महिंद्रा ग्राउंड में सेना ने ऑल वेदर ऑल एज रनिंग ट्रैक एक ठेकेदार से बनवाया था। जो कि पहली ही आंधी और तूफान में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी। जानकारी के अनुसार करीब 1 करोड़ 17 लाख रुपये की लागत से इसका निर्माण कराया गया था। वहीं जिस फुटपाथ पर नई टाइल्स लगाई गई हैं उसकी लागत भी करीब 30-35 लाख रुपये बताई जा रही है।

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