बिहार

एबीएलआर कब देगी अपने कर्मचारी का बकाया

खबरीलाल : आदित्य बायोटेक लैब एंड रिसर्च में चीफ मैनेजर (सीड डिवीज़न) के पद पर कार्यरत पी.पी.सिंह को कंपनी ने उनके इस्तीफे देने के 7 महीने बाद भी कोई सेटलमेंट नहीं किया जबकि पी.पी.सिंह ने एबीएलआर के संचालक, सीईओ शैलेन्द्र जैन (जो आरआईटी भी देखते हैं), लेखा विभाग के महेंद्र कोचर, डाकेश्वर चंद्राकर, एचआर हेड बिनॉय जॉन को 4 बार ईमेल के माध्यम से पत्र विगत 7 माह में लिखा की उनका बकाया राशि लगभग 2 लाख रुपये उन्हें दे दिया जाय। पर आज दिनांक तक एक आना भी आदित्य बायोटेक लैब ने पी.पी.सिंह को नहीं दिया है।

पी.पी.सिंह लखनऊ के निवासी हैं और उन्होंने एबीएलआर में कार्य प्रारंभ किया और पी.पी.सिंह के मुताबिक उन्होंने 31 दिसंबर 2017 को अपना इस्तीफा दे दिया तथा 18 जनवरी 2018 को उन्होंने उस समय कार्यरत सीए मनीष पाठक एवं लेखा विभाग के अधिकारी डाकेश्वर चंद्राकर से मिलकर सारी बातें पूर्ण कर कंपनी द्वारा प्रदाय किये गए लैपटॉप, मोबाइल सिम, ईमेल आईडी आदि सब कंपनी में जमा कर दिए और उनका बकाया सैलरी और एक्सपैंसेस प्रदान करने के लिए कहा। आज 7 माह से ऊपर हो गए आदित्य बायोटेक लैब एंड रिसर्च (एबीएलआर) रायपुर ने अभी तक उनके बकाया राशि उन्हें नहीं दिया। सूत्रों से ज्ञात हुआ कि एबीएलआर के सीईओ तथा महानदी शिक्षण संस्था के सचिव शैलेन्द्र जैन की इसी तरह के आदत के कारण उनका इमेज मार्किट में खराब है और लोग उनसे किसी भी तरह से जुड़ना पसंद नहीं करते हैं। 

शैलेन्द्र जैन का एक और कारनामा यह है कि उन्होंने सीएसएसडीए के अंतर्गत स्किल डेवलपमेंट में भी डुप्लीकेसि किया है जो पकड़ में आने के बाद उन बिलों के भुगतानों को सीएसएसडीए ने रोक दिया है और उन्हें नोटिस जारी किया गया है। इस बाबत सीएसएसडीए के सीईओ आईएएस डॉ बासव राजू से दूरभाष पर बात हुई तो उन्होंने कहा कि जो डुप्लीकेसि किये हैं उन्हें नोटिस जारी किया गया है और जवाब मिलने के पश्चात उचित कार्यवाही किया जाएगा। इसके बाद शैलेन्द्र जैन ने अपने सोसाइटी के नाम पर डि.डि.यू.जी.के.वाय. का कार्य रायपुर एवं बिहार / झारखंड हेतु लिया जिसका कार्य आरआईटी के रजिस्ट्रार जी.के.दुबे देख रहे हैं। इस पर शासन, एनआरएलएम को चाहिए था इनकी जांच कर रिपोर्ट केंद्र को भेजते जिससे केंद्र निर्णय करते कि इन्हें डि.डि.यू.जी.के.वाय. का कार्य देना है कि नहीं। छत्तीसगढ़ शासन, सीएसएसडीए, एनआरएलएम इस पर जांच कमेटी बैठाकर दोषियों को ब्लैक लिस्ट करे जिससे वे किसी भी तरह के स्किल डेवलपमेंट का कार्य न कर सके। जो व्यक्ति एक बार डुप्लीकेसि कर सकता है वह आगे ऐसा कृत्य नहीं करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं हैं।

फिलहाल देखना यह है कि शैलेन्द्र जैन और कितने दिन लगाते हैं एबीएलआर के पूर्व कर्मचारी पी.पी.सिंह का बकाया सैलरी और एक्सपेंस देने में। जितना शैलेन्द्र जैन पैसा देने में देर करेंगे उन्हें देयक राशि पर ब्याज भी देना होगा। रायपुर के श्रम आयुक्त इस प्रकरण को संज्ञान में कृपया लें और एबीएलआर पर उचित कार्यवाही करे नहीं तो कर्मचारियों का विश्वास शासन एवं प्रशासन से उठ जाएगा।

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