अकादमी में तैरती रही जनरल बिपिन रावत की यादें
देहरादून। जन केसरी
भारतीय सैन्य अकादमी में शनिवार को हुई पासिंग आउट परेड को हालांकि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत अपनी आंखों से नहीं देख पाए, पर उनकी यादें अकादमी में तैरती रही। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने संबोधन के शुरुआत में ही जनरल रावत का स्मरण कर उन्हें असाधारण नेतृत्वकर्ता बताया।
पासिंग आउट बैच के जेंटलमैन कैडेटों ने भी ड्रिल स्क्वायर पर अकादमी का निशान झुकाकर और बैंड की धुन के साथ राष्ट्रगान गाकर अपने सर्वोच्च सेनापति को श्रद्धांजलि दी। जनरल रावत 16 दिसंबर 1978 को ही आईएमए से पास आउट होकर गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन पाया था। पीओपी के दिन उन्हें प्रतिष्ठ्ति सोर्ड ऑफ आनर भी मिला था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 43 साल की लंबी सैन्य सेवा के दौरान वह सेना में कई अहम पदों पर तैनात रहे। सेना के आधुनिकीकरण व मजबूती के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।