तेजिन्दर जैसा खिलाड़ी एक दिन में नहीं तैयार होता- एमएस ढिल्लन
भारतीय थ्रोअर तेजिन्दर पाल सिंह तूर ने जकार्ता एशियाई खेल में नए गेम रिकार्ड के साथ शाटपट में स्वर्ण पदक जीता तो उन्होंने दो ही नाम लिए। एक तो अपने बीमार पिता को याद किया और दूसरा अपने पर्सनल कोच मोहिन्दर सिंह ढिल्लन का नाम लिया। उन्होंने कहा कि था ‘ढिल्लन सर ने उनके साथ खासी मेहनत की।’ रविवार को वही मोहिन्दर सिंह ढिल्लन राजधानी के 35वीं वाहिनी एथलेटिक्स स्टेडियम में मौजूद थे। उन्हें एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया ने यहां हुई नेशनल जैवलिन चैलेंज में भेजा था।
मोहिन्दर सिंह ढिल्लन से जब पूछा किया कि ‘आपने इतना शानदार थ्रोअर कैसे तैयार कर दिया?’ तो उन्होंने कहा कि ‘इतने शानदार एक-दो दिन में नहीं तैयार होते। इसके लिए वर्षों मेहनत करनी पड़ती है। जितना खिलाड़ी करता है उतनी ही कोच भी करते हैं।’
उन्होंने कहा कि तेजिन्दर को तैयार करने में कई वर्ष खपाने पड़े हैं। उन्होंने साई (भारतीय खेल प्राधिकरण) से रिटायर होने के बाद तय कर लिया था कि उन्हें एक ऐसा खिलाड़ी तैयार करना है जो एथेलिक्स में ओलंपिक में पदक जीते। तेजिन्दर को देखकर उन्हें लगता है यह वही खिलाड़ी है जो उनके सपने को पूरा करेगा। उन्होंने बताया कि तेजिन्दर में वह सबकुछ है जो एक ओलंपिक चैंपियन में होना चाहिए। छह फुट से लम्बा है। जकार्ता एशियाई खेल में तेजिन्दर ने 20.75 मीटर थ्रो कर न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि नया गेम रिकार्ड भी बनाया।
उन्हें उम्मीद है कि बाएं हाथ के थ्रोअर तेजिन्दर 22 मीटर के ऊपर थ्रो करेंगे। अगर इतना कर गए तो ओलंपिक में उनका पदक पक्का है। उन्होंने बताया कि तेजिन्दर फिटनेस, रिदम और स्ट्रेंथ के मामले में धनी हैं। वह नैसर्गिक प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने कहा कि एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इण्डिया को चाहिए कि ऐथलेटिक्स की जिस स्पर्धा में मेडल का सकते है,ऐथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उसके लिए खाका तैयार कर लिया है। कई ऐसे इवेंट है जहां से इस बार ओलिंपक में पदक आ सकते है।