जब श्रीकृष्ण ने समूचे विश्व को अपने मुंह मे दिखाया
खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) :जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के 68 वें चातुर्मास्य व्रत अनुष्ठान में वृंदावन की पावन धरा पर स्थित श्री शंकराचार्य निवास में संत, महात्माओं के साथ साथ भक्तों का तांता लगा हुआ है। प्रतिदिन रुद्राभिषेक के साथ साथ वेदांत अध्यन एवं सायं कालीन सत्संग आयोजित होती है जिसकी अध्यक्षता शंकराचार्य महाराजश्री के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज करते हैं । सुबह 9 बजे से चंद्रमौलेश्वर भगवान का रूद्राभिषेक दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज स्वयं करते हैं तथा पुष्पांजलि व आरती पश्चात उपस्थित भक्तों को स्वामिश्री: स्वयं चरणामृत एवं प्रसाद वितरित करते हैं।
सायंकालीन सत्संग में अन्य सम्मानित वक्ताओं , कथाकारों के कथा सम्पन्न होने के पश्चात अंत मे महाराजश्री अपने अमृत प्रवचनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को रस पान कराते हैं। आज महाराजश्री ने नन्हे कान्हा के बाल लीलाओं पर प्रकाश डाले। उन्होंने कहा जब भगवान कृष्ण ने मिट्टी खाई तो उनके सखाओं ने यशोदा माता को शिकायत लगाई और इसे सुनते ही यशोदा माता अपनी छड़ी लेकर कृष्ण के पास पहुंची और पूछा – क्या तूने सही में मिट्टी खाई ? इस पर कृष्ण ने कहा नहीं मैया हमने कोई मिट्टी नहीं खाई। तो फिर तेरे सखा क्यों बोल रहे हैं कि तू ने मिट्टी खाई। कृष्ण ने जवाब दिया हो सकता है वे मुझसे द्वेष रखते हों इसलिए झूटी शिकायत किये हों। पर तेरे भैया ने भी कहा कि तूने मिट्टी खाई है। नही मैया सब झूट बोल रहे हैं। जब यशोदा मैया ने कृष्ण के दोनों हाथ पकड़कर छड़ी उठाई तो कृष्ण ने सोचा कि यशोदा मैया से पार पाना मुश्किल है, तब ऐश्वर्य शक्ति ने भगवान श्रीकृष्ण के मुँह के अंदर समूचे विश्व को दिखा दिया। ऐसी ऐसी लीलाएं करते थे हमारे नन्हे कान्हा।