सत्संग में शंकराचार्य महाराज जी का वंदन कुचिपुड़ी नृत्य से किया गया
खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) : द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज के 68 वें चातुर्मास्य व्रत अनुष्ठान में 1 सितंबर 2018 दिन शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्री ललिता ऐश्वर्याम्बिका नृत्यालयम के कलाकारों ने महाराजश्री के सम्मान में उनके चरणों मे कुचिपुड़ी नृत्य के माध्यम से वंदन, अभिनंदन अर्पित किया। सत्संग की शुरुवात स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती महाराज ने अपने वक्तव्य से प्रारंभ किया तथा क्रमशः ब्रह्मचारी रामेश्वरानन्द जी महाराज, व्यास जी, साध्वी नील मणी शास्त्री ने अपने प्रवचनों के माध्यम व कीर्तन से प्रभु श्रीराम के विवाह अनुष्ठान पर कथा सुनाते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं को अमृत प्रवचनों का रस पान कराया।
इसके पश्चात आंध्र प्रदेश के पूर्व गोदावरी जिले से पधारे श्री ललीता ऐश्वर्याम्बिका नृत्यालयम के कलाकारों ने मनमोहक कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुत किया। प्रत्येक नृत्य के पहले स्वामिश्री: ने अल्प शब्दों में नृत्यों के बारे में उपस्थित सभी को बताया तथा उस नृत्य के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला। सर्व प्रथम नरसिंघा शर्मा द्वारा अपने नृत्य से भगवान गणेश का आह्वान किया जो बहुत ही मनमोहक था तथा इसके पश्चात नृत्यांगना श्रीवत्सला, हेमाद्रि बद्रीनाथ व नरसिंघा शर्मा द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य से ब्रह्मांजली, जातीश्वरा, कृष्णशब्दह्म, कोलुवईथीवा रंगा साई, ब्रह्मोत्सवा, रामायाणा शब्दह्म, सरस्वती स्तुति, तरंगम (कस्तूरी तिलका), थिल्लाना व गणेश क्रुति के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। प्रत्येक कलाकार कुचिपुड़ी नृत्य में इतने पारंगत थे कि उनके नृत्य के प्रत्येक स्टेप देखते ही बनती थी। नृत्य पश्चात सभी कलाकारों ने महाराजश्री का पादुका पूजन व आरती कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।