लॉर्ड्स फतेह करने के लिए ‘दादा’ ने दी कोहली को यह सलाह
बर्मिंघम: भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच रोमांचक रहा और नजदीकी मुकाबले में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा. इस मैच में टीम इंडिया की बल्लेबाजी की कड़ी आलोचना हो रही है जो इस टेस्ट की दूसरी पारी में 194 रनों का पीछा करते हुए बुरी तरह से नाकाम रही और केवल 162 रनों पर ही सिमट गई थी जिससे उसे केवल31 रनों से ही मैच में हार का मुंह देखना पड़ा था.
भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को सलाह दी है कि वे पहले टेस्ट में बल्लेबाजों के प्रदर्शन के आधार पर लॉर्ड्स टेस्ट में अंतिम 11 के चयन के लिए छटनी से बचें. गांगुली ने इस बात पर जोर दिया कि मुरली विजय और आजिंक्य रहाणे को और दृढ़ता से बल्लेबाजी करने की जरूरत है. पहले टेस्ट में मुरली विजय ने पहली पारी में 20 रन और दूसरी पारी में केवल 6 रन बनाए थे. वहीं आजिंक्य रहाणे ने पहली पारी में 15 रन और दूसरी पारी में केवल 2 रन बनाए थे.
गांगुली ने अपना इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा है, “यदि आपको टेस्ट जीतना है तो सभी को रन बनाने होंगे.” उन्होंने कहा, ‘‘यह पांच मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट है और मेरा मानना है कि टीम में वापसी करने और अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है. अजिंक्य रहाणे और मुरली विजय को अधिक प्रतिबद्धता दिखानी होगी क्योंकि वे पहले भी ऐसी परिस्थितियों में रन बना चुके हैं.’’
गांगुली ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हार के लिए कप्तान जिम्मेदार है. अगर आप कप्तान हो तो हार के लिए आपकी आलोचना होगी जैसे की जीत पर बधाई आपको मिलती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोहली की आलोचना इसलिए भी होती रही है कि क्या उन्हें अपने बल्लेबाजों को बाहर करने से पहले पर्याप्त मौके देने चाहिए. इंग्लैंड की परिस्थितियों में स्विंग के सामने नाकामी अब बहाना नहीं हो सकता है क्योंकि हर कोई जानता है कि इंग्लैंड में उन्हें कैसी परिस्थितियों का सामना करना होगा.’’
गांगुली ने कहा, ‘‘यह सच है लेकिन लगातार अंतिम एकादश से छेड़छाड़ और बदलाव करने से खिलाड़ियों के दिमाग में भय समा सकता है कि इतने वर्षों के बाद भी वे टीम प्रबंधन का भरोसा जीतने में नाकाम रहे. ’’
सभी प्रारूप में खेलना जरूरी
गांगुली ने इसके साथ ही कहा कि खिलाड़ियों के लिए सभी प्रारूपों में खेलना महत्वपूर्ण है. इस संदर्भ में उन्होंने पिछली भारतीय टीमों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व की दिग्गज टीमों चाहे वह आस्ट्रेलिया हो, दक्षिण अफ्रीका या हमारी टीम, के साथ अच्छी बात यह थी खिलाड़ी दोनों प्रारूपों में खेलते थे. इनमें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और मैं शामिल थे.’’
गांगुली ने कहा, ‘‘इसलिए जब आप एक या दो मैचों में असफल रहते थे तो आपके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी का मौका रहता था. प्रथम श्रेणी मैचों में 150 रन बनाने से आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की भरपायी नहीं कर सकते. इस टीम में विराट को छोड़कर कोई भी अन्य बल्लेबाज सभी प्रारूपों में नहीं खेलता है.’’
सौरव गांगुली 2002 में इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया के कप्तान थे और तब दोनों देशों के बीच यह सीरीज बराबर छूटी थी.