बिहार

5 कारण जो बताते हैं कि डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करने से क्यों बचते हैं लोग

नोटबंदी के बाद क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के साथ-साथ पेटीएम एवं मोबीक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट का चलन भी बढ़ा था। केंद्र सरकार ने भी डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए कई स्तर पर प्रयास किए थे। सरकार ने साल 2022 तक देश में एक ट्रिलियन के डिजिटल लेनदेन का लक्ष्य रखा है। हालांकि अभी भी काफी सारे लोग हैं जो या तो इसका इस्तेमाल डर के मारे नहीं करते हैं या फिर उनको इसके बारे में कम जानकारी है। हम अपनी इस खबर में पांच ऐसे कारण बता रहे हैं कि आखिर आज भी लोग डिजिटल पेमेंट से क्यों कतराते हैं।

डिजिटल पेमेंट को लेकर लोगों में भरोसे की कमी: आज के समय में काफी सारे लोगों का डिजिटल पेमेंट पर भरोसा नहीं है। ये लोग डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित नहीं मानते। इसका सबसे बड़ा कारण इंटरनेट पर विश्वास नहीं होना है। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जो डिजिटल पेमेंट में इंटरनेट के यूज को जोखिम भरा मानते हैं। लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि अगर डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल किया तो उनके बैंक खाते की जानकारी किसी अन्य तक पहुंच जाएगी।

पारदर्शिता की कमी: लोगों के एक बीच एक धारणा बनी हुई है कि अगर वो डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं तो उसे ट्रैक कर लिया जाएगा और ऐसे में वो मुसीबत में फसेंगे और जांच के दायरे में आ जाएंगे। टैक्स से बचने वाले लोगों की भी यही सोच है। जबकि अगर कैश की बात करें तो इसमें लोगों को ऐसा कोर्इ खतरा नहीं दिखता। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि कैश में लेनदेन से काली कमार्इ छुप जाती है। लोग बस यह चाहते हैं कि उनके लेनदेन की निगरानी कोई न करे।

कैश में पेमेंट करना हर जगह सुलभ: दरअसल, कैश में पेमेंट हर जगह आसानी से उपलब्ध है। लोग कहीं भी जाएं कैश में पेमेंट को स्वीकार किया जाता है। जबकि डिजिटल पेमेंट के साथ यह दिक्कत है कि इसे हर जगह स्वीकार नहीं किया जाता।

लोगों को कैश में लेनदेन की आदत: शुरू से ही लोगों को कैश में लेनदेन करने की आदत है। छोटी से छोटी चीज हो या कितना भी ज्यादा रकम का पेमेंट करना हो लोग इनका भुगतान कैश में करना पसंद करते हैं। देश में ज्यादातर हिस्से ऐसे हैं जहां आज भी कैश में लेनदेन किया जाता है। वहीं जैसा कि नकद (कैश) में तुरंत लेनदेन हो जाता है जबकि डिजिटल पेमेंट में स्टेप बाय स्टेप कई नियम फॉलो करने होते है।

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