लोकपाल चयन समिति की बैठक का कांग्रेस ने फिर किया बहिष्कार
नई दिल्ली : संसद का मॉनसून सत्र कल बुधवार से शुरू हो चुका है. इस सत्र में मोदी सरकार विपक्ष की रणनीति के आगे घिरती नजर आ रही है. जहां एक तरफ तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं, जिस पर शुक्रवार को वोटिंग होगी. वहीं दूसरी तरफ अन्य मामलों को लेकर भी सरकार द्वारा आहुत बैठकों में भी विपक्ष का सहयोग नहीं मिल रहा है. गुरुवार को सरकार ने लोकपाल चयन समिति की बैठक बुलाई है. इस बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस को पत्र भेजकर आमंत्रित किया गया था. लेकिन कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर बैठक में शामिल नहीं होने की बात कही है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकपाल चयन समिति के पैनल में नेता प्रतिपक्ष का नाम तया है और वह नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं. खड़गे ने कहा कि लोकपाल अधिनियम 2013 के तहत कांग्रेस को सदस्य का दर्जा मिले बिना उनके बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं होगा. न तो वे अपनी कोई राय रख सकेंगे और न ही मताधिकार होगा.
उन्होंने कहा कि वह बैठक में तब तक शामिल नहीं होंगे जब तक कि सबसे बड़े दल के नेता को लोकपाल अधिनियम के मुताबिक पैनल में पूर्ण दर्जा नहीं दिया जाता.
खड़गे ने कहा कि वह इसके बारे में प्रधानमंत्री को कई बार अगवत करा चुके हैं, लेकिन फिर से निमंत्रण देने से साफ पता चलता है कि प्रधानमंत्री उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम को लिखे पत्र में कहा कि लोकपाल चयन समिति की 1 मार्च और 10 मार्च को हुई बैठक में बुलाए जाने के विरोध में लिए गए उनके पत्रों की अनदेखी की जा रही है. खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार को 4 साल पूरे हो चुके हैं और लेकिन लोकपाल जैसी महत्वपूर्ण नियुक्ति में विपक्ष को शामिल करने तक का सरकार प्रावधान नहीं तैयार कर पाई है.
बता दें कि यहां एक पेंच हैं. कांग्रेस लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी जरूर है, लेकिन सांसदों की पर्याप्त संख्या न होने की वजह से कांग्रेस के किसी नेता को नेता-प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया गया है. इसी वजह से कांग्रेस लोकपाल चयन समिति की बैठकों का लगातार बहिष्कार करती आ रही है.