कंपनी में गड़बड़ी हुई तो ऑडिटर पर होगी कार्रवाई
बाजार नियामक सेबी कंपनियों के लेखाजोखा में गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय नतीजों का लेखापरीक्षण करने वाले ऑडिटर, चार्टर्ड अकाउटेंट और तीसरे पक्ष के स्वतंत्र मूल्यांकन करने वाले इसके दायरे में होंगे।
कंपनियों की जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कोटक समिति ने पिछले साल सिफारिश की थी कि गड़बड़ी करने वाले ऑडिटर और तीसरे पक्ष के मूल्यांकनकर्ताओं पर कार्रवाई के लिए सेबी को स्पष्ट अधिकार मिलने चाहिए। अब सिक्योरिटीज कानून के तहत इसे कानूनी शक्ल देने की तैयारी है। उल्लेखनीय है कि लेखा परीक्षण में अनियमितता के कारण कई तरह की धोखाधड़ी सामने आई हैं, लेकिन ऑडिटिंग कंपनियों पर सेबी का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है।
नियामक को कार्रवाई का अधिकार मिले
सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि कंपनी बोर्ड के निदेशकों को उचित जांच के बाद ऐसे लोगों या ऑडिट फर्म के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया जाए, जिन्होंने वित्तीय लेखाजोखा को लेकर गलत प्रमाणपत्र या रिपोर्ट जारी की हो। ये बदलाव पीएनबी से 20 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और उसे पकड़ नहीं पाने में ऑडिटरों की लापरवाही के बाद किए जा रहे हैं।
अभी पर्याप्त शक्तियां नहीं
मर्चेंट बैंकर, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां, कस्टोडियन तो सेबी के तहत पंजीकृत और नियंत्रित होते हैं। लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव, स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता और निगरानी एजेंसियां सीधे उसके नियंत्रण में नहीं हैं।
कानूनों का उल्लंघन होने पर जवाबदेही होगी
नए बदलावों के बाद लेखापरीक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्होंने जो प्रमाणपत्र या रिपोर्ट जारी की है, वह सही-विश्वसनीय होने के साथ पूरी प्रक्रिया के साथ सावधानी से तैयार की गई है। ऑडिटर अगर सिक्योरिटीज कानून में किसी प्रकार का उल्लंघन पाता है तो इसकी जानकारी कंपनी की ऑडिट कमेटी या अनुपालन अधिकारी को देनी होगी। सेबी ने प्रस्तावित कानूनों पर 30 दिनों के भीतर सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं।