सेलफोन सिनेमा यानि छोटी फिल्में बड़ी कहानी
14 वें इंटरनैशनल फेस्टिवल ऑफ़ सेलफोन सिनेमा 2021 की शुरुआत
चंडीगढ़ : हर इंसान के भीतर एक छुपा हुआ कलाकार होता है बस जरूरत होती है उसे बाहर निकालने की और उसी छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालता है हमारा अंतराष्ट्रीय सेलफोन सिनेमा समारोह, कुछ सालों पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने फोन से फिल्म का भी निर्माण कर सकेगें लेकिन आज यह संभव है, लगभग 14 साल पहले हमने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के कार्ल बर्दोश के साथ मिलकर पहली फिल्म मोबाइल से शूट की थी, फिल्म की आधी शूटिंग न्यूयॉर्क और आधी नोएडा में हुई थी और लोग मोबाइल फोन का जादू देखकर चकित थे यह कहना था 14 वें इंटरनैशनल फेस्टिवल ऑफ़ सेलफोन सिनेमा 2021 में मारवाह स्टूडियो के अध्यक्ष डॉ. संदीप मारवाह का। प्रोफेसर कार्ल बर्दोश ने बताया की जब हमने सेलफोन सिनेमा की शुरुआत की तब ज्यादातर लोगों ने इसकी आलोचना की थी क्योकि उस समय बड़े बड़े सिनेमा उपकरण जिनमें ट्रैक ट्रॉली, क्रेन, स्टैंड, लाइट आदि थे की जगह मोबाइल ने ले ली थी। आज हर कोई मोबाइल के साथ एक फिल्म बनाना चाहता है।
यूएसए के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर टेरैसाकिस ने कहा कि “मैं पूरी दुनिया में मोबाइल सिनेमा को बढ़ावा देने में कार्ल और संदीप की 14 साल की साझेदारी की सराहना करता हूं, उन्हें सेलफोन सिनेमा के पिता के रूप में नामित किया गया है। आज मोबाइल ने कई नए फिल्म निर्माताओं को बनाया है और मोबाइल न केवल सिनेमा सीखने में एक साधन है, बल्कि फिल्मों को मोबाइल पर शूट किया जाने लगा है। यूएसए के फिल्म निर्माता मीनह राइन जुंग ने कहा कि मैंने मोबाइल पर अपनी पूर्ण लंबाई वाली फीचर फिल्म पूरी कर ली है जिसमें मुझे सर्वोत्तम परिणाम मिले हैं, यह ओटीटी चैनल और लघु फिल्मों के लिए सबसे अच्छा है। लंदन के पीटर फेरिस ने कहा की यह मोबाइल फिल्मों का युग है, कोविड काल में मोबाइल का सबसे ज्यादा प्रयोग किया गया है और लोगो ने मोबाइल से लघु फिल्मे बनाई, सोशल मीडिया पर शेयर की और बताया की लघु फिल्मों द्वारा दुनिया को मनोरंजन, जागरूकता के साथ साथ आम इन्सान की परेशानियों को भी बखूबी दिखाया जा सकता है। मुंबई के जाने माने फिल्म निर्माता अमित खन्ना ने कहा कि अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए लघु फिल्मों, संगीत वीडियो और पर्याप्त प्लेटफार्मों की आवश्यकता है और “यह युवा फिल्म निर्माताओं के लिए आगे आने और खुद को फिल्म इंडस्ट्री के लिए अभिव्यक्त करने का एक शानदार तरीका है। इस अवसर पर अशोक त्यागी सचिव आईसीएमईआई, पंकज पाराशर फिल्म निर्देशक, राजीव चौधरी फिल्म निर्माता और योगेश मिश्रा महोत्सव निदेशक ने भी अपने विचार रखे।