जनभागीदारी, हमारी आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक: मुख्यमंत्री चौहान
भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनारस में ‘मुख्यमंत्रियों के कॉन्क्लेव’ में भाग लेने के बाद उत्तर प्रदेश के अपने तीन दिवसीय दौरे का समापन किया। कॉन्क्लेव की अध्यक्षता माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, जिसमें भाजपा शासित राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया, साथ ही त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, बिहार और नागालैंड के उप-मुख्यमंत्री भी सम्मिलित हुए। कॉन्क्लेव का उद्देश्य ‘टीम इंडिया’ की भावना को आगे बढ़ाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप शासन से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच तैयार करना था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की हमारी यात्रा में जनभागीदारी एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक रहा है। मध्यप्रदेश के नागरिकों के सहयोग से, प्रदेश में हमने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वामित्व योजना, जैसी प्रमुख योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। हम नागरिकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी के साथ कोविड -19 महामारी की दोनों लहरों के दौरान, संक्रमण के प्रसार को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने में सफल हुए हैं। यह सफलता का एक मॉडल है, जो लोगों की भागीदारी और माननीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए निरंतर मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व का परिणाम है। मुख्यमंत्री चौहान ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री सम्मेलन’ के दौरान एक प्रस्तुति देते हुए, मध्यप्रदेश में विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए कई नवाचारों के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुए मुख्यमंत्रियों के इस कॉन्क्लेव में चौहान ने कुछ वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश में स्थापित ‘आनंद विभाग’ द्वारा किये गये अभिनव प्रयासों की जानकारी भी दी, जिससे आम आदमी की खुशी सुनिश्चित की गई है। नीति निर्माण, निर्णय लेने और निगरानी के सभी स्तरों पर जनभागीदारी पैदा करने में राज्य सरकार के प्रयासों पर विस्तार से बताते हुए, मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि “हमें सार्वजनिक पंचायत आयोजनों में नागरिकों से बहुमूल्य सुझाव मिले, और इनके फलस्वरूप लाड़ली लक्ष्मी योजना, संबल योजना, मुख्यमंत्री तीर्थ- दर्शन योजनाओं का निर्माण किया गया। यह लोगों की भागीदारी से सुशासन को सुदृढ़ करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। दरअसल, महामारी के दौरान प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन और टीकाकरण के लिए ज़िला, विकास खंड, ग्राम पंचायत और वार्ड स्तर पर 30,600 संकट प्रबंधन समितियों का गठन किया गया था। इन समूहों में धार्मिक नेता, जन प्रतिनिधि, नागरिक, डॉक्टर और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। इसी तरह, हमने “मैं कोरोना वालंटियर” जागरूकता अभियान में लगभग 1.5 लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया। “योग से निरोग” कार्यक्रम में तीन हज़ार योग प्रशिक्षकों द्वारा लाखों कोविड-19 रोगियों की ऑनलाइन परामर्श दिया गया। “युवा शक्ति-कोरोना मुक्ति अभियान” के तहत, 10 लाख से अधिक कॉलेज छात्रों को कोविड-19 टीकाकरण और कोविड-अनुकूल व्यवहार के विषयों पर ट्रेनिंग दी गई।” मुख्यमंत्री चौहान ने कोविड-19 टीकाकरण पर राज्य द्वारा किये गये मजबूत कार्य की सराहना करते हुए कहा, “टीकाकरण अभियान बहुत सफल रहा है, राज्य के 94 प्रतिशत पात्र लाभार्थियों को अब तक टीके की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि 77 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी है। राज्य के लोगों ने इस कठिन समय में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री चौहान ने विस्तार से यह भी बताया और कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 8,65,129 घरों को मंजूरी दी गई है, इनमें से 4,68,311 घर पहले ही पूरे हो चुके हैं, जबकि शेष 3,96,818 आवासों पर कार्य प्रगति पर है। उन्होंने यह भी कहा कि 2,80,000 लाभार्थियों को प्राधिकरण पत्र वितरित किए गए, जबकि 1,00,000 शहरी घरों में गृह प्रवेश माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों द्वारा किया गया था। इसके अलावा, 30,87,000 घरों में से, पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 22,22,000 घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया किया कि 4,15,000 घरों का निर्माण महिलाओं के नाम पर किया गया था, जबकि 10,19,000 घरों का निर्माण महिलाओं और पुरुषों, दोनों के नाम, पर किया गया था। इस तरह मध्यप्रदेश ने 14,34,000 घरों का निर्माण महिलाओं के नाम पर किया है।
सुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए, मुख्यमंत्री चौहान ने यह भी कहा कि “पीएम स्वनिधि योजना के पहले चरण में, हमने 4,05,000 मामलों के लक्ष्य के मुकाबले 4,34,745 मामलों में ऋण स्वीकृत और वितरित किए। महामारी के दौरान यह योजना रेहड़ी-पटरी वालों के लिए वरदान बन गई है, क्योंकि हमने बैंक दस्तावेजों के लिए स्टांप शुल्क को भी घटाकर 25 कर दिया है। हमने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 1,73,000 रेहड़ी-पटरी वालों को प्रशिक्षित किया है, साथ ही 10 हजार महिलाओं सहित मिस्त्रियों को प्रशिक्षण देकर 51,000 से अधिक ग्रामीणों को इस योजना से जोड़ा है। उत्तर प्रदेश के अपने तीन-दिवसीय दौरे में बनारस के दशाश्वमेध घाट पहुंचकर, माननीय प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में, मुख्यमंत्री चौहान समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने गंगा आरती में शामिल होकर पूजा-अर्चना की। तीसरे दिन चौहान ‘मुख्यमंत्री कॉन्क्लेव’ में सम्मिलित हुए, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। इस ‘ मुख्यमंत्रियों के कॉन्क्लेव’ का उद्देश्य राज्यों द्वारा लागू सर्वोत्तम नवाचारों को साझा करने के लिए एक मंच बनाना था।