कुलवंत सिंह के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अफवाहों से आप कार्यकर्ताओं में पैदा हुई नाराज़गी

चंड़ीगढ़।आज़ाद ग्रुप के संस्थापक और बिज़नसमैन कुलवंत सिंह के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अफवाहों से आप कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है और वो इसका पुरजोर विरोध करने की तैयारी में हैं। बार-बार पार्टी बदलने वाले मोहाली के पूर्व महापौर कुलवंत सिंह से पार्टी के ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले सदस्य नाराज़ हैं। कुलवंत सिंह को यदि आम आदमी पार्टी में शामिल किया जाता है, तो पार्टी के सदस्य इसे पार्टी पर एक बोझ की तरह देख रहे हैं।
कुलवंत सिंह, पहले शिरोमणि अकाली दल से जुड़े हुए थे, और जब उन्होंने मोहाली नगर पालिका चुनाव में निर्दलीय लड़ने की घोषणा की, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था और उन्होंने अपनी खुद की पार्टी – ‘ आज़ाद ग्रुप ‘ का गठन किया और अब पंजाब विधान सभा चुनाव के पहले, जिस पार्टी के वे संस्थापक हैं, वे उसे भी छोड़ कर आम आदमी पार्टी से जुड़ने की तैयारी में हैं।
इस संभावना को देखते हुए, मोहाली में आप से जुड़े कुछ ज़मीनी कार्यकर्ताओं के दल ने सामूहिक इस्तीफा देने की घोषणा की है, अगर कुलवंत सिंह आप से जुड़ते हैं और उन्हें मोहाली से टिकट दिया जाता है तो ‘आप’ सदस्यों का ये भी मानना है कि कुलवंत सिंह को पार्टी में शामिल किए जाने से पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुँच सकता है।
“कुलवंत सिंह ने इतनी बार पार्टी बदली है कि अब उनके चरित्र में कोई अखंडता नहीं बची है। काबिल लोगों को नज़रंदाज़ करते हुए, यदि कुलवंत सिंह जैस चेहरे पार्टी में शामिल किए जाते हैं, तो हम सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे। कुलवंत सिंह ने यह तय कर लिया है कि वो मोहाली से चुनाव लड़ेंगे लेकिन उन्होंने यह तय नहीं किया है कि वे किस पार्टी से लड़ेंगे। इससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि वो एक अवसरवादी व्यक्ति हैं और उन्हें सिर्फ चुनाव लड़ने और सत्ता हासिल करने का मोह है, लोगों की परवाह नहीं,” पार्टी कार्यकर्ता नज़ीर अली मनोली ने कहा।
कुलवंत का विरोध कर रहे ‘ आप पार्टी ‘ के सदस्य पार्टी में ‘बाहरी’ लोगों को शामिल किए जाने के खिलाफ हैं और यह मानते हैं कि आप पार्टी ज़मीनी स्तर पर काम करने वालों की पार्टी हैं और पार्टी में उन्हीं लोगों का स्वागत किया जाना चाहिए जिनका चरित्र साफ़ हो और जिन्होंने ज़मीनी स्तर पर काम किया हो, खास तौर पर किसान आन्दोलन में और इस प्रकार के अन्य आयोजनों में।
“कुलवंत सिंह जब शिरोमणि अकाली दल में और आज़ाद ग्रुप में थे, तब उनसे हमारा वैचारिक मतभेद रहा है। उनके साथ चुनाव के समय काम करने पर पार्टी में दरार की बात सामने आ सकती है क्योंकि हमारी सोच एक जैसी नहीं है। हम अलग-अलग चीजों में विश्वास रखते हैं और एक साथ काम करने में हमें मुश्किल होगी।” अंगत सिंह रुरका ने कहा।
‘आप’ सदस्यों का यह भी कहना है कि कुलवंत सिंह हाल ही में नगर पालिका चुनाव हार चुके हैं, और लोगों के बीच उनकी वैसी पकड़ नहीं है, जैसी पकड़, आगामी चुनावों में जीत हासिल करने के लिए ज़रूरी है।
कुलवंत सिंह को पार्टी में शामिल करना विवेकपूर्ण निर्णय नहीं होगा। ‘आप’ के राष्ट्रीय प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने हमेशा से इसी बात पर जोर दिया है कि ‘आप’ जमीन से जुड़े लोगों की पार्टी है, और कुलवंत सिंह जिनके पास इतनी संपत्ति और दौलत है, वे इस श्रेणी में नहीं आते। हम चाहते हैं कि पंजाब के ‘आप’ नेता इस बात पर गौर करें और कोई भी निर्णय लेने से पहले पार्टी सदस्यों की बात को ध्यान में ज़रूर रखें, ” मोहन गिरी, आप पार्टी कार्यकर्ता ने कहा।
कुलवंत सिंह 2015 में मोहाली के महापौर चुने गए थे लेकिन चुनाव में कई बार उन्होंने हार का सामना भी किया है। 2014 में वे फतेहगढ़ साहिब से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं और इस साल की शुरुआत में हुए नगर पालिका चुनाव में भी उन्होंने मात खाई है, जिसके पहले उन्हें शिरोमणि अकाली दल से निष्कासित कर दिया गया था।