राष्ट्रीय

देश को इंतजार है GST पर पीएम क्या बोलेंगे

नई दिल्ली। वन नेशन, वन टैक्स के तहत एक जुलाई 2017 को पूरा देश एक सूत्र में बंध जाएगा। नई टैक्स व्यवस्था के तहत देश की जो तस्वीर जेहन में उतर रही है, वो 71 वर्ष पहले की वो तस्वीर याद दिला रही है जब देश अंग्रेजी राज की गुलामी से आजाद हुआ था। 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को जब पीएम जवाहर लाल नेहरू संसद के केंद्रीय हॉल से देश और दुनिया को संदेश दे रहे थे कि भारत अब एक नये युग में प्रवेश कर रहा है। ठीक वही इतिहास 30 जून 2017 को दोहराया जाएगा जब पीएम नरेंद्र मोदी मध्य रात्रि को देश और दुनिया को संदेश देंगे कि अब जीएसटी के जरिए पूरा भारत एक सूत्र में बंध चुका है।

ट्रिस्ट विद डेस्टिनी(नियति से वादा) भाषण में नेहरू ने क्या कहा था

कई सालों पहले, हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है। यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।

आज हम दुर्भाग्य के एक युग को समाप्त कर रहे हैं और भारत पुनः स्वयं को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है, नए अवसरों के खुलने का। इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा। आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है। हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं।
वन नेशन, वन टैक्स के जरिए जब देश होगा एक

वन नेशन, वन टैक्स की कवायद वैसे तो यूपीए के जमाने में ही शुरू हो गई थी। लेकिन आम सहमति न बाने की वजह से जीएसटी का सपना मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान अधूरा रह गया। 2014 में पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए का दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना कई मायनों में महत्वपूर्ण था। 1984 के बाद पहली बार कोई एक पार्टी अकेले अपने दम पर सत्ता पर काबिज हो चुकी थी। पूर्ववर्ती सरकार की खामियों को सफलतापूर्व जनता के बीच रखने में सफल रहने वाले पीएम मोदी के सामने जीएसटी एक बड़ी चुनौती थी। संसद के निचली सदन यानि लोकसभा में एनडीए को जीएसटी बिल पारित कराने में किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन राज्यसभा में संख्या बल की कमी, विपक्ष के तार्किक विरोध के सामने जीएसटी बिल पारित कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली विपक्ष के नेताओं से लगातार ये अपील करते रहे कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए वो सरकार के प्रयासों का समर्थन करें। इसी कड़ी आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्र बाबू नायडू की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गई जो राज्यों की चिंताओं को बड़े परिप्रेक्ष्य मं समझने की कोशिश कर रही थी। राज्यों और विपक्षी दलीलों को सरकार ने तवज्जो दी और चार संशोधनों के साथ जीएसटी बिल राज्यसभा से पारित हो गया। संसद के दोनों सदनों से जीएसटी बिल पारित होने के बाद अब ये साफ हो गया कि वन नेशन, वन टैक्स के सपनों को धरातल पर उतारने में सरकार एक कदम आगे बढ़ चुकी है।

लालनपुर से लालकिले का सफर

15 अगस्त 2013 को देश दो भाषणों का गवाह बना। लालकिले की प्राचीर से तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह जिस वक्त यूपीए सरकार की उपल्बधियों का बखान कर रहे थे, ठीक उसी वक्त दिल्ली से हजारों किमी दूर गुजरात के लालनपुर से नरेंद्र मोदी यूपीए सरकार को चुनौती दे रहे थे। मनमोहन सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि नाकामियों से भरी सरकार के मुखिया के बातों में दम नहीं है। ये वर्ष इस सरकार का आखिरी साल है। किसी मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के उद्बबोधन की राजनीतिक गलियारों में कड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन ये सच था कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी राज्य का सीएम किसी पीएम को खुली चुनौती दे रहा था।

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