जाधव मामले में पाक को झटका
नईदिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान को झटका देते हुए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर मंगलवार को रोक लगा दी है। जाधव को ईरान और पाकिस्तान की सीमा से तालिबान ने अगवा कर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को सौंप दिया था। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 11 अप्रैल को जासूसी का आरोप लगाकर जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर जाधव की मौत की सजा पर रोक लगाने को कहा है। पाकिस्तान के खिलाफ भारत की यह बड़ी जीत है। भारत ने पाकिस्तानी की सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ इस अदालत में 8 मई को अपील की थी।
अंतर्राष्ट्रीय अदालत की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने इस मामले में पाकिस्तान पर विएना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया था। भारत की ओर से दायर अपील में ये भी बताया गया था कि कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारत के उच्चायोग अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मैंने कुलभूषण जाधव की मां से बात की और उन्हें कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी दे दी है।’
इंटरनेशनल कोर्ट में कुलभूषण जाधव के मामले की पैरवी वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कर रहे हैं।
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कथित जासूसी के आरोप में भारतीय नागरिक और नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी।
पाकिस्तान ने दावा किया कि जाधव को पिछले साल 3 मार्च को बलूचिस्तान प्रांत के अशक्त से गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद एक सैन्य अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी। जाधव की मां अवंती जाधव ने पिछले महीने पाकिस्तान में एक उच्च न्यायालय में मौत की सजा के खिलाफ एक अपील दायर की थी।
बता दें कि पाकिस्तान सेना ने मार्च के आखिर में जाधव के कथित कुबूलनामे का वीडियो जारी किया था। पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि जाधव ने कुबूल किया कि वह रॉ के लिए बलूचिस्तान में काम कर रहा था। भारत ने पाकिस्तान के आरोप खारिज किए थे।
भारत ने कहा था कि वीडियो में यह शख्स (जाधव) जो बातें कह रहा है, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। उसने जो भी कहा है, प्रेशर में कहा है। भारत ने पाकिस्तान स्थित अपने उच्चायोग के अफसरों की जाधव से मुलाकात कराने की कई बार इजाजत मांगी थी। लेकिन पाकिस्तान ने हर बार भारत की मांग को ठुकरा दिया था।