उत्तराखण्ड

जिम कॉर्बेट की बंदूक को इतने रुपए में सैलानी कर सकेंगे दीदार

उत्तराखंड और जिम कॉर्बेट के चाहने वालों के लिए इस बार का बाघ दिवस विशेष है। भारत छोड़ते वक्त कॉर्बेट ने जो बंदूक कालाढूंगी में अपने साथी को उपहार स्वरूप दी थी उसे नया वारिस मिलने वाला है। चार साल से बंदूक नैनीताल जिले के कालाढूंगी थाने में लावारिस पड़ी है। जिम कॉर्बेट केन्या जाते वक्त ये बंदूक कालाढूंगी निवासी अपने करीबी सहायक शेर सिंह नेगी को दे गए थे। नेगी की मौत के बाद तीन दशक तक उनके बेटे त्रिलोक सिंह ने बंदूक को सैलानियों के लिए संभाल कर रखा। अब ये बंदूक शेर सिंह की तीसरी पीढ़ी के नाम दर्ज होने जा रही है।

सिंगल नाली बंदूक से बाघ और जानवरों को खदेड़ते थे कॉर्बेट

कॉर्बेट की यह बंदूक सिंगल नाली है। मोहित नेगी ने बताया कि कॉर्बेट इस बंदूक से हवाई फायर कर बाघ और जंगली जानवरों को खदेड़ने का काम करते थे। छह साल पहले तक यह बंदूक चालू हालत में थी लेकिन अब खराब हो चुकी है।2019 में त्रिलोक सिंह की मौत के बाद उनके परिवार को ये बंदूक थाने में जमा करानी पड़ी थी। त्रिलोक सिंह के बेटे मोहित नेगी बताते हैं अब तक इसकी विरासत नहीं करवाई। अब कालाढूंगी ग्राम विकास समिति की पहल पर जल्द बंदूक उनके नाम होने जा रही है।

दस रुपये के टिकट पर देख सकेंगे बंदूक

कालाढूंगी ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडे ने बताया कि बंदूक मोहित के नाम करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अगले 15 दिन में बंदूक परिवार को मिलने की उम्मीद है। इसके बाद दस रुपये शुल्क देकर सैलानी इसे देख और छू सकेंगे।

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