उच्चतम न्यायालय ने एक बड़े फैसले में स्कूलों को आदेश दिया है कि वे छात्रों से सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस ले सकते हैं लेकिन इसमें 15 फीसदी की कटौती करें क्योंकि छात्रों ने उनसे वे सुविधा नहीं ली जो स्कूल आने पर लेते। जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ ने आदेश दिया कि ये फीस छह किश्तों में 5 अगस्त 2021 तक ली जाएगी और फीस नहीं देने पर 10वीं और 12वीं छात्रों का रिजल्ट नहीं रोका जाएगा और न ही उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई माता-पिता फीस देने की स्थिति में नहीं है तो स्कूल उनके मामलों पर विचार करेंगे लेकिन उनके बच्चे का रिजल्ट नहीं रोकेंगे।
पीठ ने माना कि यह आदेश डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 के तहत नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसमें यह कहीं भी नहीं है कि सरकार महामारी की रोकथाम के लिए शुल्क या फीस अनुबंध में कटौती करने का आदेश दे सकती है। इस एक्ट में अथोरिटी का आपदा के प्रसार की रोकथाम करने के लिए अधिकृत किया गया है।