अमित शाह के पटना दौरे के निहितार्थ, बड़ा सवाल- क्या CM नीतीश से बनेगी बात?
[अमित आलोक]। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के लिए गुरुवार का दिन अहम है। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पटना में मिशन 2019 की रणनीति पर मंथन करेंगे। इसके तहत जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सुप्रीमो व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। इसमें राजग में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत होगी। हालांकि, सीटों को लेकर किसी निष्कर्ष की उम्मीद अभी जल्दबाजी होगी।
विदित हो कि बिहार में राजग के घटक दलों के बीच लोक सभा चुनाव में सीटों को लेकर खींचतान है। सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तय नहीं, लेकिन इसे लेकर तकरार हाेने लगी है। हाल की बयानबाजी से राजग में बढ़ी तल्खी के बाद जदयू ने फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी की रणनीति अख्तियार की है। उम्मीद है कि अमित शाह व नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद जदयू इसपर अपना बयान जारी करे।
सीट शेयरिंग पर तकरार
आगामी लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे और बिहार में राजग के चेहरे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में हाल के दिनों में तकरार हो चुकी है। भाजपा के अधिक सीटों पर दावे के बाद जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा था अगर भाजपा को सहयोगी पार्टियों की ज़रूरत नहीं है तो वह अकेले ही सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े। जदयू अकेले चुनाव लड़ने को लेकर आश्वस्त है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सीट बंटवारे का यह मसला बड़े नेता मिल-बैठकर सुलझा लेंगे।
इसके बाद खुद नीतीश कुमार ने पार्टी नेताओं को ऐसी बयानबाजी से परहेज रखने की हिदायत दी। भाजपा ने भी संयम से काम लिया। उम्मीद यह की गई कि अमित शाह के आने पर इस मसले पर हाई लेवल चर्चा होगी तो कोई निष्कर्ष निकल आएगा। अब इस मुलाकात को लेकर जदयू नेता श्याम रजक ने कहा है कि राजद एकजुट है और इसके सभी घटक दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
बंटवारा के फॉर्मूला पर विवाद
राजग में सीट बंटवारे को लेकर आधिकारिक बातचीत आज होगी। लेकिन, मतभेद पहले से ही उभरने लगे हैं। बिहार में राजग के चार घटक दल हैं। इनमें सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह सबसे बड़ी समस्या बन गई है।
पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो भाजपा को बिहार की 40 में से 22 सीटें मिलीं थीं, जबकि सहयोगी लोक जनश्ाक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को क्रमश: छह और तीन सीटें मिलीं थीं। तब राजद से अलग जदयू को केवल दो सीटें मिलीं थीं। इन आंकडा़ें को आधार बनाएं तो जदयू के लिए आठ-नौ सीटें हीं बचती हैं। पेंच यहीं फंस रहा है।
खास-खास सीटों पर भी फंसा पेंच
पेंच सीटों की संख्या ही नहीं, खास-खास सीटों को लेकर भी है। जदयू अपनी इच्छा की सीेटें चहता है। वह उन सीटो के लिए इच्छुक नहीं, जो भाजपा बीते चुनाव में मोदी लहर के दौरान भी हार गई थी। जदयू का मानना है कि विपक्ष की ये सिटिंग सीटें लेकर उसे खास फायदा नहीं होने जा रहा।
सीट शेयरिंग का यह आधार बनाना चाहता जदयू
जदयू 2015 के गत विधानसभा चुनाव के नतीजों को सीट बंटवारे का आधार बनाना चाहता है। गत विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 सीटों में जदयू को 71 सीटें मिलीं थीं। तब भाजपा को 53 और लोजपा व रालोसपा को क्रमश: दो-दो सीटें मिलीं थीं। उस चुनाव में जदयू राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तथा कांग्रेस के साथ महागठबंधन में था। बाद में वह राजग में शामिल हो गया।
भाजपा नेता नहीं रखते इत्तफाक
जदयू के दावे से भाजपा नेता इत्तफाक नहीं रखते। उनकी दलील है कि जदयू की असली ताकत बीते लोकसभा चुनाव से पता चलती है। ऐसे में जदयू इस बात से परेशान बताया जाता है कि अगर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला 2014 के लोकसभा चुनाव से निकलता है तो राजग में लोजपा और रालोसपा को 9-10 सीटें मिलेंगी। तब भाजपा व जदयू के लिए केवल 30 सीटें ही बचेंगी। ऐसे में भाजपा अगर विनिंग सीटाें पर दावा करे तो जदयू के लिए केवल आठ सीटें रह जाएंगी।
बिहार में नीतीश राजग का चेहरा
बताया जाता है कि सीट शेयरिंग में ऊपर रहने की रणनीति के तहत जदयू ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में राजग का चेहरा कहा है। जदयू मानता है कि जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजग के चेहरा हैं, बिहार में नीतीश कुमार हैं। इसे स्पष्ट करें तो कह सकते हैं कि जदयू चुनाव में नीतीश के चेहरे पर बड़ा सीट शेयर भी चाहता है।
अभी तक तय नहीं सीट बंटवारे का फॉर्मूला
जदयू को लेकर राजग में सीट बंटवारा का क्या फॉर्मूला हो, यह फिलहाल तय नहीं हो सका है। जदयू को कम सीटों से संतोष्ा नही, यह जाहिर है। भाजपा में भी इसे लेकर मंथन जारी है, क्योंकि बिहार में जदयू के जनाधार को देखते हुए वह नहीं चाहेगी कि गठबंधन की एकता पर कोई आंच आए।
अब शाह-नीतीश मुलाकात पर टिकीं नजरें
अब सबकी निगाहें अमित शाह व नीतीश कुमार की मुलाकातों पर जा टिकी हैं। गुरुवार पूर्वाह्न हुई एक मुलाकात के बाद दोनों ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की है। अब रात्रि में नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर डिनर के दौरान भी दोनों नेता मिलेंगे।
अंतिम फैसला नरेंद्र मोदी व अमित शाह की मुलाकात के बाद
सवाल यह है कि आगे क्या होगा? जहां तक सीटों के बंटवारे की बात है, भाजपा व जदयू दोनों दलों के नेता मानते हैं कि केवल दो बैठकों में किसी फैसले की उम्मीद बेकार है। हां, इस हाई लेवल मुलाकात से इस मुद्दे पर चर्चा जरूर शुरू हो जाएगी। अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की मुलाकात के बाद ही होगा, ऐसा माना जा रहा है। हालांकि, बिहार में भाजपा नीतीश कुमार की धर्मनिरपेक्ष छवि को भुनाना जरूर चाहेगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि अगर नीतीश कुमार राजग से अलग हुए तो इसका लाभ महागठबंधन को मिल सकता है।