नौटंकी कर रही हैं मायावती: जाटव
गाजियाबाद। भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तरप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार शांत प्रकाश जाटव ने कहा
की मायावती नौटंकी कर रही हैं वह इस्तीफा देतीं या ना देतीं उनकी सदस्यता तो वैसे भी खत्म होने वाली थी. श्री जाटव ने कहा मायावती को लालू ने बिहार से राज्यसभा भेजने का वायदा किया था परन्तु अब लालू खुद उलझे हुए हैं वो बिना नितीश की सहमति के मायावती को राज्यसभा भेजने की स्थिति में नही है ऐसे में मायावती के समक्ष यही एक रास्ता बचता था.
उन्होंने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा बीएसपी प्रमुख मायावती कांग्रेस की एजेंट है बीएसपी कांग्रेस की बी टीम है जो दलितों की पीठ पर बैठ अज़ान लगाने का काम करती रही है। उन्होंने कहा मायावती कभी भी एक विशेष समुदाय के लोगो के खिलाफ नही बोली क्यों की वो समुदाय कांग्रेस का बड़ा बोट बैंक है, दलित समाज की बेटियों के साथ कई बार दुर्व्यवहार हुए पर मायावती कभी भी उनकी आवाज नही बनी, मायावती ने सहारनपुर में अंबेडकर जयंती शोभायात्रा पर भी 10 वर्ष पहले सिर्फ इसलिए रोक लगाई थी क्योंकी वहां के एक विशेष धर्म के कद्दावर नेता ने मायावती को मना किया था। उन्होंने सहारनपुर का जिक्र करते हुए कहा कि सहारनपुर में जो हिंसा हुई वो भी एक सोची समझी साजिश थी.
श्री जाटव ने चुटकी लेते हुए कहा कि मायावती का कहना है दलितों और छोटे तबकों के लोगों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. सहारनपुर में दलितों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हुआ. गुजरात के ऊना में दलितों पर अत्याचार हुआ. मुझे शब्बीरपुर में हेलीकॉप्टर से जाने की इजाजत नहीं दी गई. मुझे सड़क के रास्ते जाना पड़ा. जब मैं गांव पहुंची तो डीएम और एसपी गायब थे. मैंने वहां कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे समुदायों के बीच लड़ाई हो जाए. यूपी में अभी भी महाजंगलराज और महागुंडाराज है. हमें पीड़ितों की मदद के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ी. जबकि मायावती के टाइम में जो अत्याचार लोगो पर हुए वह भुलाये नही जा सकते। बसपा के नारे तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार इस नारे से ही समझा जा सकता है की मायावती कितनी घटिया स्तर की राजनीति करती रही है. चूंकि बसपा कांग्रेस की बी टीम है इसलिए आज तक मायावती ने कभी भी कांग्रेस के काले कारनामों के खिलाफ एक शब्द भी नही बोला। उन्होंने कहा की राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार का समर्थन कर ये बात साबित भी कर दी है। श्री जाटव ने कहा आज मायावती का इस्तीफा देना भी राजनीति से प्रेरित है उनका राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा है. सदन में पुनः चुन कर आने लायक उनकी पार्टी के पास विधायक नहीं हैं बीएसपी की विधानसभा के भीतर ताकत महज 19 विधायकों की रह गई है. अब इतने कम विधायकों के नाम पर उनकी सदन के भीतर दोबारा इंट्री तो नामुमकिन ही थी. लिहाजा शहीद बनने का प्रयास कर भोले भाले गरीब दलितों को फिर गुमराह करने की कोशिश मायावती कर रही हैं.
उन्होंने कहा दरअसल, मायावती दलित राजनीति में बीजेपी द्वारा उठाये गए कदमों से परेशान है. गैर जाटव दलित समुदाय के रामनाथ कोविंद को देश के सर्वोच्च पद के लिए आगे बढ़ाकर बीजेपी यूपी समेत बाकी राज्यों में भी अपनी साख बढ़ा रही है और राजनीति के इस सियासी खेल में फिलहाल बाजी मारती दिख रही है.