आईएएस अकादमी हत्याकांड में आईटीबीपी जवान दोषी करार
देहरादून। जन केसरी
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकादमी में दो वर्ष पूर्व हुई गोलीबारी के मामले में हिमाचल निवासी आईटीबीपी के जवान को कोर्ट दोषी करार दिया गया है। जवान ने अपने ही ड्यूटी अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जबकि बीच बचाव में आया एक अन्य जवान घायल हो गया था। देहरादून की एडीजे तृतीय अजय चौधरी की अदालत 27 मार्च दोषी जवान के मामले में सजा सुनाएगी।
शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी ने कोर्ट को बताया कि दस जुलाई 2015 की शाम छह बजे के करीब मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (आईएएस अकादमी) में आईटीबीपी के जवान कांस्टेबल चंद्रशेखर निवासी ग्राम हररोट तहसील जयसिंह पुर कांगड़ा हिमाचल प्रदेश ने इस घटना को अंजाम दिया। चंद्रशेखर ने अपने सीनियर दारोगा सुरेंद्र लाल पुत्र आत्माराम शर्मा निवासी 34 बटालियन आईटीबीपी को आपसी विवाद में गोली मार दी। जिसके चलते सुरेंद्र की मौत हो गई। बीच-बचाव के दौरान जवान अख्तर हुसैन पुत्र असलम खान निवासी 34 बटालियन आईटीबीपी घायल हुआ था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुल 23 गवाह पेश हुए, हालांकि बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाह नहीं आया। शुक्रवार को अदालत ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के मद्देनजर चंद्रशेखर को हत्या का दोषी करार दिया।
पिठ्ठू परेड की सजा का लिया बदला
सुरक्षा के लिहाज से अतिसंवेदनशील आईएएस अकादमी में आईटीबीपी जवानों के बीच हुई गोलीबारी ने कई सवाल खड़े हुए थे। मामले की जांच सामने आया था कि आईटीबीपी कांस्टेबल चंद्रशेखर ड्यूटी के दौरान मोबाइल प्रयोग करता था, जिसे अनुशासनहीनता मानते हुए उपनिरिक्षक सुरेंद्र ने चंद्रशेखर को दो दिन की पीठ्ठु परेड की सजा सुनाई थी। इससे खफा होकर ही उसने 10 जुलाई की शाम अपनी सर्विस एलएमजी से सुरेंद्र पर गोली चला दी थी। घटना के बाद वह पूरी रात मसूरी के जंगल में छिपा रहा और अगले दिन तड़के चंडीगढ़ चला गया था।