कब होती है कुष्मांडा देवी की पूजा, क्या है पूजा विधि?
कुष्मांडा देवी नवदुर्गा का चौथा स्वरुप हैं. अपनी हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा हुआ. ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं. अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. संस्कृत भाषा में कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध नामक ग्रह से है. इस बार इनकी पूजा 12 अक्टूबर को की जाएगी.
क्या है देवी कुष्मांडा की पूजा विधि?
– हरे वस्त्र धारण करके मां कुष्मांडा का पूजन करें.
– पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ, या कुम्हड़ा अर्पित करें.
– इसके बाद उनके मुख्य मंत्र “ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः” का 107 बार जाप करें.
– चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.
बुध को मजबूत करने के लिए कैसे करें मां कुष्मांडा की पूजा?
– मां कुष्मांडा को उतनी हरी इलाइची अर्पित करें जितनी कि आपकी उम्र है.
– हर इलाइची अर्पित करने के साथ “ॐ बुं बुधाय नमः” कहें.
– सारी इलाइचियों को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर रख लें.
– इन्हें अपने पास अगली नवरात्रि तक सुरक्षित रखें.