उत्तराखण्ड

हिमनद झीलों का बढ़ता आकार बढ़ा रहा चिंता

ग्लेशियरों में हमनदीय झीलों का तेजी से निर्माण व हो रहा है विकास

रुड़की। हिमालयी ग्लेशियर को लेकर एक नया पहलू सामने आ रहा है। मानसून सीजन में हिमनद झीलों के आकार में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे शोधकर्ता चिंतित हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि आकार में हो रहे निरंतर परिवर्तन से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं तथा हिमस्खलन, भूस्खलन और हिमनदीय झीलों के विस्फोट से आई बाढ़ आदि कारण बन सकती है। सिंचाई अनुसंधान संस्थान रुड़की के द्वारा हिमनद झीलों के लिए 2022 में किए गए अध्ययन में हिमनद झीलों के आकार में 20 से 40 प्रतिशत अंतर दर्ज किया गया है।
रुड़की स्थित सिंचाई अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने रिमोट सेंसिग तकनीक की मदद से पिथौरागढ़ जिले में 43 तथा चमोली में 192 हिमनदीय झीलों के मानसून अवधि में हो रहे जल-प्रसार क्षेत्र का अध्ययन कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) हैदराबाद द्वारा हिमनद झीलों के वर्ष 2016 के आंकड़ों के आधार पर पर वर्तमान स्थिति का अध्ययन किया गया। संस्थान के अधीक्षण अभियंता शंकर कुमार साहा ने बताया कि वर्ष 2020, 2021 और 2022 में जून से अक्टूबर तक के जल प्रसार क्षेत्र का अध्ययन किया गया है। हिमनद झीलों के लिए 2022 में किए गए अध्ययन में हिमनद झीलों के आकार में अंतर पाया गया। इसका लगातार अध्ययन किया जा रहा है।
संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खासकर मानसून में ज्यादातर ग्लेशियर के आकार में विस्तार हो रहा है। आकार में हो रहे निरंतर परिवर्तन से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं तथा हिमस्खलन, भूस्खलन और हिमनदीय झीलों के विस्फोट से आई बाढ़ आदि कारण बन सकती है। उन्होंने दावा किया कि अभीतक ऐसी कोई तकनीक नहीं आई है जो ग्लेशियर के आकार में हो रहे विस्तार को कम कर सके।

इनसेट
एक हेक्टेयर के सात, एक से पांच हेक्टेयर तक के नौ, पांच से दस हेक्टेयर तक के दो तथा दस हेक्टेयर के चार ऐसे ग्लेशियर हैं जिनमें 40 प्रतिशत तक आकार में परिवर्तन व वृद्धि देखा गया है। इसके अलावा एक हेक्टेयर के तीन तथा एक से पांच हेक्टेयर तक के चार ऐसे ग्लेशियर हैं उनमें 20-40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि रिकॉर्ड की गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button